महाकालेश्वर मंदिर
मैहर में घुमने की जगह मैहर महाकालेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में चंदेल शासकों द्वारा किया गया था। मंदिर की वास्तुकला बेहद सुंदर और भव्य है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की लिंग रूप की मूर्ति स्थापित है। मंदिर के परिसर में कई अन्य मंदिर भी हैं, जिनमें माँ शारदा देवी मंदिर, महादेव मंदिर और माई का तालाब शामिल हैंमहाकालेश्वर मंदिर हिंदुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
मैहर में घुमने की जगह मैहर महाकालेश्वर मंदिर, मैहर, मध्य प्रदेश एक नए रूप में खुलता है
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मध्य प्रदेश के अज्ञात जिले में स्थित भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, महाकालेश्वर मंदिर, एक नए रूप में खोला गया है। मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य 2022 में शुरू हुआ था और यह 2023 में पूरा हो गया।
मंदिर की वास्तुकला में कई बदलाव किये गए हैं। मंदिर के गर्भगृह में नए विश्वविद्यालय को स्थापित किया गया है और भगवान शिव की मूर्ति को सोने के पत्थर से मढ़ा गया है। मंदिर के परिसर में कई नए निर्माण भी शामिल हैं, जिनमें एक भव्य प्रवेश द्वार, एक विशाल सभागार और एक पुस्तकालय शामिल हैं।
मंदिर के जीर्णोद्धार का उद्देश्य इसे एक आधुनिक और भव्य मंदिर के रूप में विकसित करना था। मंदिर के नए रूप को देखने के लिए देश भर से अनोखे आ रहे हैं।
मंदिर के गर्भगृह में नए छात्रों को रखा गया है। गर्भगृह की अंदर की दीवारों और छत को सोने के पत्थर से मढ़ा गया है।
भगवान शिव की मूर्ति को भी नये मंदिर से बनाया गया है। मूर्ति को सोने के पत्थर से बनाया गया है और इसे नया आकार दिया गया है।
मंदिर के परिसर में एक भव्य प्रवेश द्वार बनाया गया है। प्रवेश द्वार में भगवान शिव और अन्य देवताओं की मूर्तियाँ हैं।
मंदिर के परिसर में एक विशाल ऑडिटोरियम बनाया गया है। ऑडिट में 1000 से ज्यादा लोग बैठ सकते हैं।
मंदिर के परिसर में एक पुस्तकालय बनाया गया है। पुस्तकालय में हिन्दू धर्म और संस्कृति की अनेक पुस्तकें हैं।
जीर्णोद्धार मंदिर के बाद यह एक और अधिक आकर्षक और आधुनिक तीर्थ स्थल बन गया।
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मैहर में घुमने की जगह मैहर महाकालेश्वर मंदिर, मैहर, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित मैहर देवी मंदिर, देवी शारदा को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर त्रिकुट पहाड़ी के ऊपर स्थित है और 1000 से अधिक सीढ़ियों से जुड़ा हुआ है। मैहर मंदिर को माता सती के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब शिव जी मृत सती के शरीर ले जा रहे थे तब उनका हार इस जगह पर गिर गया था और इसलिए नाम मैहर (मैहर = माई का हार ) पड़ गया। मंदिर में, देवी शारदा को एक लाल पत्थर की मूर्ति के रूप में दर्शाया गया है, जो एक सिंहासन पर बैठी हुई हैं। मूर्ति के चारों ओर कई अन्य देवताओं और देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। मंदिर का गर्भगृह बहुत ही सुंदर है और इसे नक्काशीदार पत्थरों से सजाया गया है। मैहर देवी मंदिर एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है और हर साल लाखों भक्त यहां आते हैं। मंदिर के पास कई अन्य मंदिर और आकर्षण भी हैं, जैसे कि त्रिकुट पहाड़, 1000 सीढ़ियां, और शारदा कुंड।
मैहर में घुमने की जगह मैहर मैहर देवी मंदिर कैसे पहुंचे?
मैहर देवी मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आप ट्रेन, बस, या कार से जा सकते हैं।
ट्रेन से: मैहर के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन सतना है। सतना रेलवे स्टेशन से मंदिर तक टैक्सी या बस से पहुंचा जा सकता है।
बस से: मैहर के लिए कई बसें उपलब्ध हैं। आप भोपाल, जबलपुर, और रीवा जैसे शहरों से मैहर के लिए बस ले सकते हैं।
कार से: मैहर सतना से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप कार या बाइक से मैहर जा सकते हैं।
मैहर देवी मंदिर के दर्शन करने का सबसे अच्छा समय सुबह जल्दी या शाम को होता है। इस समय मंदिर में भीड़ कम होती है और आप शांत वातावरण में दर्शन कर सकते हैं।
माँ शारदा देवी मंदिर
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माँ शारदा देवी मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर देवी शारदा को समर्पित है, जिन्हें देवी दुर्गा का एक रूप माना जाता है। मंदिर त्रिकुट पहाड़ी के ऊपर स्थित है और 1000 से अधिक सीढ़ियों से जुड़ा हुआ है।
मंदिर के बारे में एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव सती के शरीर को लेकर जा रहे थे, तब उनका हार इस जगह पर गिर गया था। इसलिए इस जगह का नाम मैहर पड़ा। मैहर का अर्थ है “माँ का हार”।
मंदिर का गर्भगृह बहुत ही सुंदर है और इसे नक्काशीदार पत्थरों से सजाया गया है। गर्भगृह में, देवी शारदा को एक लाल पत्थर की मूर्ति के रूप में दर्शाया गया है, जो एक सिंहासन पर बैठी हुई हैं। मूर्ति के चारों ओर कई अन्य देवताओं और देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं।माँ शारदा देवी मंदिर एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है और हर साल लाखों भक्त यहां आते हैं। मंदिर के पास कई अन्य मंदिर और आकर्षण भी हैं, जैसे कि त्रिकुट पहाड़, 1000 सीढ़ियां, और शारदा कुंड।माँ शारदा देवी मंदिर के दर्शन करने का सबसे अच्छा समय सुबह जल्दी या शाम को होता है। इस समय मंदिर में भीड़ कम होती है और आप शांत वातावरण में दर्शन कर सकते हैं।मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में चंदेल शासकों द्वारा किया गया था।
मंदिर को माता सती के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है।
मंदिर में देवी शारदा के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्तियाँ हैं, जिनमें भगवान शिव, भगवान विष्णु, और भगवान गणेश शामिल हैं।
मंदिर के पास कई अन्य मंदिर और आकर्षण भी हैं, जिनमें त्रिकुट पहाड़, 1000 सीढ़ियां, और शारदा कुंड शामिल हैं।
मैहर में घुमने की जगह मैहर नर्मदा नदी के तट पर अन्य घाट
ओंकारेश्वर: ओंकारेश्वर नर्मदा नदी के तट पर स्थित एक पवित्र तीर्थ स्थल है। यहाँ नर्मदा नदी दो धाराओं में विभाजित होकर ओंकारेश्वर और माधव द्वीपों के बीच से बहती है। ओंकारेश्वर द्वीप पर भगवान शिव का ओंकारेश्वर मंदिर स्थित है, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। माधव द्वीप पर भगवान विष्णु का माधव मंदिर स्थित है।
महेश्वर: महेश्वर नर्मदा नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। यहाँ नर्मदा नदी पर एक पुराना किला स्थित है। महेश्वर में कई अन्य मंदिर और ऐतिहासिक स्थल भी हैं।
नर्मदापुरम: नर्मदापुरम नर्मदा नदी के तट पर स्थित एक औद्योगिक शहर है। यहाँ नर्मदा नदी पर एक जल विद्युत परियोजना स्थित है। नर्मदापुरम में कई अन्य मंदिर और ऐतिहासिक स्थल भी हैं।
बडवाह: बडवाह नर्मदा नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। यहाँ नर्मदा नदी पर एक पुराना किला स्थित है। बडवाह में कई अन्य मंदिर और ऐतिहासिक स्थल भी हैं।
बैतूल: बैतूल नर्मदा नदी के तट पर स्थित एक औद्योगिक शहर है। यहाँ नर्मदा नदी पर एक जल विद्युत परियोजना स्थित है। बैतूल में कई अन्य मंदिर और ऐतिहासिक स्थल भी हैं।
इन घाटों के अलावा, नर्मदा नदी के तट पर कई अन्य छोटे-बड़े घाट भी हैं, जो प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व के लिए जाने जाते हैं।
मैहर में घुमने की जगह मैहर बड़ी खेरमाई मंदिर
बड़ी खेरमाई मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर देवी शारदा की बड़ी बहन, बड़ी खेरमाई को समर्पित है। मंदिर को माता सती के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है।
मंदिर त्रिकुट पहाड़ी के नीचे स्थित है। मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में चंदेल शासकों द्वारा किया गया था। मंदिर की वास्तुकला बहुत ही सुंदर है और इसे नक्काशीदार पत्थरों से सजाया गया है।
मंदिर में, देवी बड़ी खेरमाई को एक लाल पत्थर की मूर्ति के रूप में दर्शाया गया है, जो एक सिंहासन पर बैठी हुई हैं। मूर्ति के चारों ओर कई अन्य देवताओं और देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। मंदिर का गर्भगृह बहुत ही सुंदर है और इसे नक्काशीदार पत्थरों से सजाया गया है।
बड़ी खेरमाई मंदिर एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है और हर साल लाखों भक्त यहां आते हैं। मंदिर के पास कई अन्य मंदिर और आकर्षण भी हैं, जैसे कि त्रिकुट पहाड़, 1000 सीढ़ियां, और शारदा कुंड।
बड़ी खेरमाई मंदिर के दर्शन करने का सबसे अच्छा समय सुबह जल्दी या शाम को होता है। इस समय मंदिर में भीड़ कम होती है और आप शांत वातावरण में दर्शन कर सकते हैं।
मंदिर को माता सती के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है।
मंदिर में देवी बड़ी खेरमाई के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्तियाँ हैं, जिनमें भगवान शिव, भगवान विष्णु, और भगवान गणेश शामिल हैं।
मंदिर के पास कई अन्य मंदिर और आकर्षण भी हैं, जिनमें त्रिकुट पहाड़, 1000 सीढ़ियां, और शारदा कुंड शामिल हैं।
बड़ी खेरमाई मंदिर के बारे में एक लोकप्रिय कहानी यह है कि देवी शारदा और देवी बड़ी खेरमाई दोनों बहनें थीं। देवी शारदा ने त्रिकुट पहाड़ी पर तपस्या की, जबकि देवी बड़ी खेरमाई ने मैहर के पास स्थित एक पहाड़ी पर तपस्या की। देवी शारदा की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें एक वरदान दिया कि उनके पति को एक दिव्य शक्ति प्राप्त होगी। देवी बड़ी खेरमाई को भी एक वरदान दिया गया कि उनके पति को एक दिव्य शक्ति प्राप्त होगी।देवी शारदा और देवी बड़ी खेरमाई दोनों ने अपने पति के साथ मिलकर काम किया और दुनिया को बुराई से बचाया। दोनों बहनों ने कई युद्ध लड़े और कई राक्षसों का वध किया।देवी शारदा और देवी बड़ी खेरमाई दोनों को हिंदू धर्म में बहुत सम्मान दिया जाता है।
मैहर में घुमने की जगह मैहर आल्हा-उदल अखाड़ा
आल्हा-उदल अखाड़ा मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित त्रिकूट पर्वत पर मां शारदा का भव्य मंदिर है। इस मंदिर के बारे में एक रहस्य है कि हर रात दो वीर योद्धा मां की आरती करने आते हैं, लेकिन कभी दिखाई नहीं देते हैं।
आसपास के बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि ये वीर योद्धा आल्हा और उदल हैं, जो आज भी मां शारदा के भक्त हैं। शाम की संध्या आरती के बाद जब मंदिर का पट बंद कर दिया जाता है, तब मंदिर के अंदर से घंटी की आवाज सुनाई देती है। कई बार तो पुष्प चढ़े होने के प्रमाण भी मिले हैं।आल्हा और उदल ने ही सबसे पहले इस मंदिर की खोज की थी। आल्हा ने यहां 12 वर्षों तक तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर मां शारदा ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था।
मंदिर के पुजारी देवी प्रसाद का कहना है कि 52 शक्ति पीठों में मैहर शारदा ही ऐसी देवी हैं जहां अमरता का वरदान मिलता है। मां की कृपा कब किस भक्त पर हो जाए,
मैहर में घुमने की जगह मैहर बड़ा अखाड़ा मंदिर
बड़ा अखाड़ा मंदिर मध्य प्रदेश के जनजातीय जिले में स्थित मैहर शहर एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यहां कई प्रसिद्ध मंदिर और तीर्थस्थल हैं, जिनमें से एक बड़ा एरिना मंदिर है। यह शिव मंदिर भगवान को समर्पित है और यहां 101 शिवलिंग स्थापित हैं।हम लोग भी एक दिन मैहर घूमने गये थे। हमने ऑटो बुक किया था और चार धाम की यात्रा का कार्यक्रम बनाया था। इन चार धामों में बड़ा एरिना मंदिर भी शामिल था। हम लोग जब देश में बड़े पैमाने पर निर्मित मंदिर बनाते हैं तो हम देखते ही रह जाते हैं। मंदिर बहुत ही सुंदर था और मंदिर के ऊपर एक विशाल मूर्ति स्थापित थी। मंदिर के अंदर भी कई छोटी-छोटी मूर्तियां स्थापित की गईं। हम लोगों ने सभी शिवलिंग के दर्शन किये। मंदिर के बाहर एक कुआँ भी था, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह प्राचीन है और इसमें खजाना दबा हुआ है। हम लोगों ने कुए देखे को, लेकिन खजाना देखने का मौका नहीं मिला।
बड़े पैमाने पर बौद्धों का एक आश्रम भी है, जो ब्राह्मणों को शिक्षा देने के लिए बनाया गया है। आश्रम का प्रवेश द्वार बहुत सुंदर है। आश्रम में एक श्री राम मंदिर भी है। हम लोग इस आश्रम में भी गए और पहेली का अवलोकन किया।
बड़े पैमाने पर व्यवसाय हमें बहुत अच्छा लगा। यह एक बहुत ही खूबसूरत और ऐतिहासिक स्थल है। हम लोगों की सलाह है कि आप भी एक बार बड़े पैमाने पर निर्मित मंदिर अवश्य बनाएं।
बड़ा एरिना मंदिर एक प्राचीन मंदिर है, जिसका निर्माण 11वीं शताब्दी में चंदेल शासकों ने करवाया था। मंदिर का नाम इसलिए रखा गया क्योंकि यहां एक बड़ा क्षेत्र है, जहां पर ब्राह्मण पहलवान कुश्ती लड़ते थे।
मंदिर के अंदर एक विशाल शिवलिंग स्थापित है, जिसका नाम “श्री सर्वदेव राम नाथराम” है। चारों ओर 101 छोटे-छोटे शिवलिंग स्थापित हैं। मंदिर के बाहर एक कुआं भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह प्राचीन है और इसमें खजाना दबा हुआ है।
बड़े पैमाने पर बौद्धों का एक आश्रम भी है, जो ब्राह्मणों को शिक्षा देने के लिए बनाया गया है। आश्रम का प्रवेश द्वार बहुत सुंदर है। आश्रम में एक श्री राम मंदिर भी है।
बड़ा एरिना एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यह शिव मंदिर भगवान की भक्ति और ब्राह्मणों की शिक्षा के लिए जाना जाता है।
मैहर में घुमने की जगह मैहर नीलकंठ मंदिर और आश्रम
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बेहद ख़राब होता है। इस महीने हर तरह से महादेव की जय जयकार होती है और शिव भक्त आशीर्वाद लेने के लिए शिव मंदिर जाते हैं। सावन के खास नुस्खे पर हम आपको ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताते हैं, जो हिमालय पर्वतों के तल में बसा हुआ है। इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद भी मिलता है। यह मंदिर ऋषियों में स्थित नीलकण्ठ महादेव मंदिर है।
नीलकंठ महादेव मंदिर भगवान शिव को सबसे प्रतिष्ठित चित्रों में से एक है। यह मंदिर ऋषिकेश से लगभग 25 किलोमीटर दूर मणिकोट पर्वत पर स्थित है। मंदिर के निर्माण के बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन यह प्रमाणित है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र तट से निकला विष ग्रहण किया था। विष के प्रभाव से भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया था, इसलिए इस मंदिर का नाम नीलकंठ पड़ा।
मंदिर का निर्माण अत्यंत सुंदर है। मंदिर के अंदर भगवान शिव की विशाल प्रतिमा स्थापित है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल यात्रा के लिए जाना जाता है। मंदिर के पास एक झरना भी है, जहां लोग स्नान करते हैं।
मैहर में घुमने की जगह मैहर गोला मंदिर
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले में शिवरात्रि पर भक्तों का हुजूम उमड़ा। सुबह 4 बजे से ही शिव मंदिरों के कपाट खुल गए। जिले में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं,
सबसे अधिक भक्तों के आगमन की बात करें तो, वह छोटी काशी कहे जाने वाले गोला गोकर्णनाथ शिव मंदिर पर होती है। यहां पर सावन में बरेली, हरदोई, शाहजहांपुर आदि क्षेत्रों से भक्तगण आकर शिव मंदिर में शिव का जलाभिषेक करते हैं। वहीं महाशिवरात्रि में भी छोटी काशी शिवमय हो जाता है।
इस बार शिवरात्रि पर छोटी काशी में सुबह के समय ज्यादा भीड़ देखने को नहीं मिली। हालांकि, मंदिर के कपाट सुबह 4 बजे ही खुल गए थे। मन्दिर परिसर के दुकानदारों का कहना है कि आज यह सिलसिला पूरे दिन चलेगा। हो सकता है कि सुबह 7 बजे के बाद भक्तों की भीड़ बढ़े।
गोला शिव मंदिर का इतिहास पौराणिक रहा है। मान्यता है कि भगवान शिव लंकापति रावण की तपस्या से प्रसन्न हुए थे। तब उन्होंने वरदान मांगने को कहा जिस पर रावण ने शिव को अपने साथ ले जाने की इच्छा जाहिर की थी। जब रावण भगवान शिव को अपने साथ लंका ले जा रहा था गोला गोकर्णनाथ के पास पहुंचते ही उसे लघुशंका महसूस हुई। अब रावण शिव जी को भूमि पर तो रख नहीं सकता था क्योंकि शिव जी की शर्त थी यदि रावण उन्हे किसी स्थान पर रख देगा तो वह वही पर स्थान जमा लेगें।
मैहर में घुमने की जगह मैहर पापामोचनी नदी
पापामोचनी नदी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के लखीमपुर खीरी जिले में स्थित एक नदी है। यह नदी गोला गोकर्णनाथ मंदिर के निकट गोमती नदी से निकलती है और लगभग 20 किलोमीटर तक बहने के बाद सरयू नदी में मिल जाती है।
पापामोचनी नदी को पापों से मुक्ति दिलाने वाली नदी माना जाता है। मान्यता है कि इस नदी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए, यह नदी है
पापामोचनी नदी के किनारे कई मंदिर और घाट स्थित हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध मंदिर गोला गोकर्णनाथ मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
पापामोचनी नदी एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस नदी में स्नान करने और भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं।
पापामोचनी नदी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण नदी है। इस नदी को पापों से मुक्ति दिलाने वाली नदी माना जाता है। इसलिए, यह नदी हिंदू धर्म में एक पवित्र नदी मानी जाती है।
यह नदी भगवान शिव को समर्पित है। भगवान शिव हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं।
इस नदी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। यह हिंदू धर्म के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण विश्वास है।
यह नदी एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस नदी में स्नान करने और भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं।
मैहर में घुमने की जगह मैहर पंचवटी
मैथिलीशरण गुप्त का खण्डकाव्य पंचवटी रामायण के शूर्पणखा प्रसंग पर आधारित है। इस कविता में, गुप्तजी ने शूर्पणखा के चरित्र को एक नया रूप दिया है। वे उसे एक नारी के रूप में चित्रित करते हैं जो प्रेम और विवाह के लिए लालायित है। वे लक्ष्मण के चरित्र को भी एक नया रूप देते हैं। वे उन्हें एक साहसी और पराक्रमी योद्धा के रूप में चित्रित करते हैं जो स्त्रियों के सम्मान की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
कथानक
कविता की शुरुआत पंचवटी के रमणीय दृश्य से होती है। राम और सीता पर्णकुटी में विश्राम कर रहे हैं और लक्ष्मण प्रहरी के रूप में कुटिया के बाहर बैठे हैं। रात्रि के अंतिम प्रहर में, शूर्पणखा पर्णकुटी की ओर आती है। वह लक्ष्मण को देखकर मोहित हो जाती है और उनसे विवाह का प्रस्ताव करती है। लक्ष्मण उसका प्रस्ताव ठुकरा देते हैं।
शूर्पणखा निराश होकर राम से मिलने जाती है। वह उन्हें भी अपना प्रेम प्रस्ताव देती है। राम भी उसका प्रस्ताव ठुकरा देते हैं। शूर्पणखा दोनों ओर से असफल होने पर क्रोध में भर जाती है और विकराल रूप धारण कर लेती है। लक्ष्मण उसे डराने के लिए अपना धनुष बाण निकालते हैं। शूर्पणखा लक्ष्मण की ओर दौड़ती है और लक्ष्मण उसे रोकने के लिए उसका नाक और कान काट लेते हैं।
मधुर हास्य-विनोद
कविता में मधुर हास्य-विनोद का प्रयोग किया गया है। शूर्पणखा और लक्ष्मण के बीच की बातचीत में कई हास्यपूर्ण प्रसंग हैं। उदाहरण के लिए, जब लक्ष्मण शूर्पणखा को अपना प्रस्ताव ठुकराते हैं, तो वह कहती है, “मैं तो तुम्हारे नाक और कान काट लूंगी।” लक्ष्मण जवाब देते हैं, “मैं तो तुम्हारे नाक और कान काट दूंगा।” यह वार्तालाप पाठक को हंसाता है।
पात्रों का चित्रण
गुप्तजी ने शूर्पणखा और लक्ष्मण के चरित्र को एक नया रूप दिया है। शूर्पणखा को एक नारी के रूप में चित्रित किया गया है जो प्रेम और विवाह के लिए लालायित है। लक्ष्मण को एक साहसी और पराक्रमी योद्धा के रूप में चित्रित किया गया है जो स्त्रियों के सम्मान की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
भाषा शैली
कविता की भाषा निखरी हुई खड़ीबोली है। यह सरल और सुबोध है। कविता में कई आलंकारिक अलंकारों का प्रयोग किया गया है।
पंचवटी एक उत्कृष्ट खण्डकाव्य है। यह रामायण के एक प्रसिद्ध प्रसंग का एक नया और दिलचस्प रूप प्रस्तुत करता है। कविता में मधुर हास्य-विनोद, पात्रों का मनोवैज्ञानिक चित्रण और सुंदर भाषा शैली का प्रयोग किया गया है। यह कविता गुप्तजी के कृतित्व का एक महत्वपूर्ण योगदान है।
मैहर में घुमने की जगह मैहर बड़ा चौराहा
मैहर का बड़ा चौराहा मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर कस्बे में स्थित है। यह चौराहा शहर के केंद्र में स्थित है और यह शहर के कई प्रमुख स्थलों के लिए एक महत्वपूर्ण संपर्क बिंदु है।
बड़ा चौराहा एक चौकोर आकार का है और यह चारों ओर से सड़कों से घिरा हुआ है। चौराहे के केंद्र में एक बड़ा पेड़ है और आसपास कई दुकानें और रेस्तरां हैं। चौराहे पर हमेशा भीड़-भाड़ रहती है, खासकर सप्ताहांत और त्योहारों के दौरान।
बड़ा चौराहा मैहर के कई महत्वपूर्ण स्थलों के लिए एक महत्वपूर्ण संपर्क बिंदु है। इनमें शामिल हैं:
शारदा देवी मंदिर
चंद्रिका माता मंदिर
राम वन गमन पथ
मैहर किला
मैहर रेलवे स्टेशन
बड़ा चौराहा मैहर के स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय स्थान है। यह एक जीवंत और व्यस्त स्थान है जहां हमेशा कुछ न कुछ देखने और करने को मिलता है।
चौराहे का नाम “बड़ा चौराहा” इसलिए रखा गया है क्योंकि यह शहर के सबसे बड़े चौराहों में से एक है।
चौराहे पर स्थित पेड़ को “बड़ा पेड़” कहा जाता है। यह पेड़ लगभग 200 साल पुराना है और यह शहर के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
चौराहे पर स्थित दुकानों और रेस्तरां में विभिन्न प्रकार के सामान और भोजन उपलब्ध हैं।
मैहर में घुमने की जगह मैहर मैहर रेलवे स्टेशन
हर रेलवे स्टेशन उत्तर प्रदेश के सतना जिले के मैहर कस्बे में स्थित है। यह स्टेशन सतना-जबलपुर रेलमार्ग पर स्थित है। मैहर रेलवे स्टेशन मध्य प्रदेश के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक है।
मैहर रेलवे स्टेशन का निर्माण 1928 में हुआ था। स्टेशन का डिजाइन ब्रिटिश वास्तुकला शैली में किया गया है। स्टेशन की इमारत दो मंजिला है और इसमें एक बड़ा प्रतीक्षा हॉल, एक टिकट कार्यालय और कई दुकानें हैं। स्टेशन के बाहर एक बड़ा पार्क है।
मैहर रेलवे स्टेशन से कई ट्रेनें चलती हैं। इनमें कुछ प्रमुख ट्रेनें हैं:
सतना-जबलपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस
सतना-कामाख्या एक्सप्रेस
सतना-अहमदाबाद एक्सप्रेस
सतना-वाराणसी एक्सप्रेस
सतना-जम्मू तवी एक्सप्रेस
मैहर रेलवे स्टेशन मैहर के लिए एक महत्वपूर्ण परिवहन केंद्र है। यह स्टेशन स्थानीय लोगों और पर्यटकों को शहर तक पहुंचने में मदद करता है।
मैहर में घुमने की जगह मैहर बस स्टैंड
मैहर बस स्टैंड मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर कस्बे में स्थित है। यह बस स्टैंड मैहर के लिए एक महत्वपूर्ण परिवहन केंद्र है। यह स्टैंड स्थानीय लोगों और पर्यटकों को शहर तक पहुंचने में मदद करता है।
मैहर बस स्टैंड शहर के केंद्र में स्थित है। यह स्टैंड एक बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें कई बस पट्टियों हैं। स्टैंड पर हमेशा भीड़-भाड़ रहती है, खासकर सप्ताहांत और त्योहारों के दौरान।
मैहर बस स्टैंड से कई बसें चलती हैं। इनमें कुछ प्रमुख बसें हैं:
मैहर-जबलपुर
मैहर-सागर
मैहर-दमोह
मैहर-रीवा
मैहर-भोपाल
मैहर बस स्टैंड के पास कई सुविधाएं हैं, जिनमें शामिल हैं:
एक बड़ा प्रतीक्षा हॉल
एक टिकट कार्यालय
कई दुकानें और रेस्तरां
एक पार्किंग स्थल
मैहर बस स्टैंड मैहर के लिए एक महत्वपूर्ण परिवहन केंद्र है। यह स्टैंड स्थानीय लोगों और पर्यटकों को शहर तक पहुंचने में मदद करता है
मैहर में घुमने की जगह मैहर मैहर एयरपोर्ट
मैहर एयरपोर्ट मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर कस्बे में स्थित है। यह एयरपोर्ट सतना-जबलपुर हवाई मार्ग पर स्थित है। मैहर एयरपोर्ट मध्य प्रदेश के सबसे छोटे हवाई अड्डों में से एक है।
मैहर एयरपोर्ट का निर्माण 1994 में हुआ था। एयरपोर्ट का डिजाइन एक छोटे से हवाई अड्डे के रूप में किया गया है। एयरपोर्ट की इमारत एक मंजिला है और इसमें एक छोटा सा प्रतीक्षा हॉल, एक टिकट कार्यालय और कुछ दुकानें हैं। एयरपोर्ट के पास एक छोटा सा रनवे है।
मैहर एयरपोर्ट से कुछ घरेलू उड़ानें चलती हैं। इनमें कुछ प्रमुख उड़ानें हैं:
मैहर-जबलपुर
मैहर-भोपाल
मैहर-नई दिल्ली
मैहर एयरपोर्ट मैहर के लिए एक महत्वपूर्ण परिवहन केंद्र है। यह एयरपोर्ट स्थानीय लोगों और पर्यटकों को शहर तक पहुंचने में मदद करता है।
मैहर में घुमने की जगह मैहर मैहर कैसे पहुंचे
मैहर मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यह शहर शारदा देवी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जो एक हिंदू शक्तिपीठ है। मैहर पहुंचने के कई तरीके हैं:
हवाई मार्ग से
मैहर का निकटतम हवाई अड्डा जबलपुर है, जो मैहर से लगभग 160 किलोमीटर दूर है। जबलपुर से मैहर के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं। मैहर पहुंचने का सबसे तेज तरीका हवाई मार्ग है।
रेल मार्ग से
मैहर का निकटतम रेलवे स्टेशन मैहर है, जो शहर के केंद्र में स्थित है। मैहर से कई प्रमुख शहरों के लिए नियमित ट्रेनें उपलब्ध हैं। रेल मार्ग से मैहर पहुंचना एक किफायती विकल्प है।
सड़क मार्ग से
मैहर राष्ट्रीय राजमार्ग 7 पर स्थित है, जो इसे देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है। मैहर से दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और अन्य प्रमुख शहरों के लिए नियमित बसें उपलब्ध हैं। सड़क मार्ग से मैहर पहुंचना सबसे सुविधाजनक विकल्प है।
मैहर पहुंचने के लिए कुछ सुझाव:
यदि आप हवाई मार्ग से मैहर जा रहे हैं, तो जबलपुर हवाई अड्डे से मैहर के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं।
यदि आप रेल मार्ग से मैहर जा रहे हैं, तो मैहर रेलवे स्टेशन से शहर के केंद्र तक टैक्सी या बस ले सकते हैं।
यदि आप सड़क मार्ग से मैहर जा रहे हैं, तो मैहर पहुंचने के लिए आप अपने निजी वाहन या किराए की कार ले सकते हैं।
मैहर पहुंचने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच है, जब मौसम सुहावना रहता है।