एकादशी का व्रत कैसे करना चाहिए एकादशी का व्रत कैसे करें How to fast on Ekadashi

एकादशी का ही व्रत हिंदू धर्म में सबसे बड़ा माना गया है और कोई व्रत आप करो या न करो लेकिन एकादशी का व्रत हर एक हिंदू भाई को करना चाहिए इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और पापों से मुक्ति मिलती है। और न करने से पाप लगता है |

How to fast on Ekadashi

एकादशी का व्रत कैसे करना चाहिए एकादशी का व्रत कैसे करें एकादशी व्रत की विधि

दशमी के दिन से दिवाली का पालन शुरू करें। दशमी के दिन का मांस, मछली, प्याज, लहसुन, मसूर की दाल, और शहद का सेवन न करें। इसके अलावा इस दिन क्रोध, काम और लोभ से भी दूर रहना है।
एकादशी के दिन सुबह जल्दी स्नान करें। फिर, भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें।
भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा में भगवान विष्णु को तुलसी, फूल, फल, और मिठाई दें।
एकादशी के दिन पूरे दिन निराहार रहें। केवल फल, दूध और पानी का सेवन करें
द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। पारण समय भगवान विष्णु की पूजा करें। फिर, ब्राह्मणों को भोजन करवाएं।
एकादशी व्रत के नियम

पुराने व्रत का पालन करना आवश्यक है:

दशमी और दशमी दोनों दिन मांस, मछली, प्याज, लहसुन, मसूर की दाल, और शहद का सेवन न करें।दशमी और एकादशी दोनों दिन क्रोध, काम और लोभ से दूर रहते हैं। एकादशी के दिन पूरे दिन निराहार रहें। द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। तृतीया व्रत का लाभ

एकादशी का व्रत कैसे करना चाहिए एकादशी का व्रत कैसे करें भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।पापों से मुक्ति है।मोक्ष की प्राप्ति होती है।स्वास्थ्य में सुधार होता है।धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।एकादशी व्रत की कथा

एकादशी व्रत की कई कथाएँ हैं। एक कथा के अनुसार, एक बार एक ब्राह्मण था जिसका नाम डूरुस्करी था। वह बहुत गरीब था और उसका कोई संत नहीं था। एक दिन, वह एक ऋषि से मिला। ऋषि ने उन्हें एकादशी व्रत रखने के लिए कहा था। डूलुकारी ने ऋषि की बात मान ली और एकादशी व्रत रखना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद, धुंधला के घर में धन-संपत्ति और संत दोनों चले गए।

एकादशी का व्रत कैसे करना चाहिए एकादशी व्रत का उद्यापन

एकादशी व्रत का उद्यापन करना भी जरूरी है। उद्यापन करने से व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है। उद्यापन करने के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। इसके अलावा, ब्राह्मणों को दक्षिणा भी चाहिए।

चतुर्थ व्रत पालन के लिए नियम

चतुर्थ व्रत पालन के लिए नियम

चतुर्थ व्रत पालन के लिए नियम दशमी और चतुर्थी दोनों दिन मांस, मछली, प्याज, लहसुन, मसूर की दाल, और शहद न खाएं
दशमी और चतुर्थी दोनों दिन क्रोध, काम, और लोभ से दूर रहें
चतुर्थी को पूरे दिन भूखे रहें।
पंचमी को सूर्योदय के बाद फलों, दूध, और पानी से व्रत तोड़ें

एकादशी व्रत किसको करना चाहिए

एकादशी व्रत हर कोई कर सकता है, चाहे वह पुरुष हो, महिला हो, बच्चा हो, या बुजुर्ग। इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और पापों से मुक्ति मिलती है।

एकादशी व्रत रखने के लिए कोई विशेष योग्यता या आयु सीमा नहीं है। हालांकि, कुछ लोगों को एकादशी व्रत नहीं रखना चाहिए, जैसे:

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गर्भवती महिलाएं बीमार व्यक्ति धातु रोग से पीड़ित व्यक्ति स्तनपान कराने वाली महिलाएं रजस्वला महिलाएं
इन लोगों को एकादशी व्रत रखने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

एकादशी व्रत रखने के कुछ लाभ – भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती हैपापों से मुक्ति मिलती है। मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्वास्थ्य में सुधार होता है। धन-संपत्ति में वृद्धि होती है

एकादशी व्रत कब से प्रारंभ करना चाहिए

एकादशी व्रत कब से प्रारंभ करना चाहिए

एकादशी व्रत हर महीने दो बार आता है, एक बार शुक्ल पक्ष में और एक बार कृष्ण पक्ष में। इसलिए, एकादशी व्रत रखने के लिए कोई निश्चित समय नहीं है। आप किसी भी समय एकादशी व्रत रखना शुरू कर सकते हैं।

हालांकि, कुछ लोग दशमी के दिन से ही एकादशी व्रत के नियमों का पालन करना शुरू कर देते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि दशमी के दिन से ही एकादशी व्रत की शुरुआत मानी जाती है। यदि आप पहली बार एकादशी व्रत रख रहे हैं, तो आपको अपने गुरु या किसी अनुभवी व्यक्ति से सलाह लेनी चाहिए। वे आपको एकादशी व्रत के नियमों और लाभों के बारे में बता सकते हैं।

एकादशी व्रत कितने करने चाहिए

एकादशी व्रत कितने करने चाहिए, यह व्यक्ति की क्षमता और इच्छा पर निर्भर करता है। कोई भी व्यक्ति एकादशी व्रत रख सकता है, चाहे वह पुरुष हो, महिला हो, बच्चा हो, या बुजुर्ग।

यदि आप एकादशी व्रत रखने का निर्णय लेते हैं, तो आपको एकादशी व्रत के नियमों और लाभों के बारे में बता सकते हैं।

एक आम धारणा यह है कि हर महीने आने वाली दो एकादशी व्रतों में से कम से कम एक व्रत रखना चाहिए। हालांकि, कुछ लोग साल में सभी 24 एकादशी व्रत भी रखते हैं। यह व्यक्ति की क्षमता और इच्छा पर निर्भर करता है।

यदि आप पहली बार एकादशी व्रत रख रहे हैं, तो आपको शुरुआत में एक या दो व्रत रखने से शुरू करना चाहिए। जब आप एकादशी व्रत रखने के नियमों और लाभों से परिचित हो जाते हैं, तो आप अधिक व्रत रखना शुरू कर सकते हैं।

एकादशी व्रत रखने से मनुष्य के जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति आती है।

एकादशी व्रत कब से रहेना चाहिए

एकादशी व्रत हर महीने दो बार आता है, एक बार शुक्ल पक्ष में और एक बार कृष्ण पक्ष में। इसलिए, एकादशी व्रत रखने के लिए कोई निश्चित महीने नहीं है। आप किसी भी महीने से एकादशी व्रत रखना शुरू कर सकते हैं।

हालांकि, कुछ लोग दशमी के दिन से ही एकादशी व्रत के नियमों का पालन करना शुरू कर देते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि दशमी के दिन से ही एकादशी व्रत की शुरुआत मानी जाती है।

पीरियड्स के समय एकादशी का व्रत महिलाओं को करना चाहिए या नही

पीरियड्स के समय एकादशी का व्रत महिलाओं को करना चाहिए या नही वैसे तो समाज में महिलाओं के पीरियड्स को लेकर अलग अलग लोगों के अलग अलग विचार हैं लेकिन आमतौर पर धारणा यही दिखती है कि पीरियड्स के दौरान महिलाएं अशुद्ध होती हैं और उन्हें पूजा पाठ या व्रत नहीं करना चाहिए। मानसिक रूपा से कर सकती है किसी देवी या देवोता मूर्ति को टर्च न करे

एकादशी व्रत के दिन क्या खाना चाहिए

एकादशी व्रत के दिन क्या खाना चाहिए

फल: केला, आम, सेब, सेब, पपीता, संतरा, आदि
पेय: दूध, दही, फलों का रस, आदि
अन्न: कुट्टू, साबूदाना, आलू, शकरकंद, नारियल, आदि
मेवे: बादाम, पिस्ता, मूंगफली, आदि
एकादशी व्रत के दिन के बाद खाद्य पदार्थ नहीं खाना चाहिए
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चावल: एकादशी व्रत के दिन चावल खाना अनपेक्षित है।
सामूहिक भोजन: एकादशी व्रत के दिन सामूहिक भो जन से बचना चाहिए।
विस्तारित भोजन: एकादशी व्रत के दिन परिष्कृत भोजन से परहेज करना चाहिए।
मांस, मछली, अंडा: एकादशी व्रत के दिन मांस, मछली, और अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए।
प्याज, लहसुन: एकादशी व्रत के दिन प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए।
मसूर की दाल: एकादशी व्रत के दिन मसूर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए।
विवरण: अहि।
एकादशी व्रत के दिन उपवास रखने से शरीर को शुद्ध किया जाता है और आत्मा को शुद्ध किया जाता है इसके अलावा, एकादशी व्रत से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और पापों से मुक्ति मिलती है।

यहां एकादशी व्रत के दिन के लिए एक उदाहरण आहार योजना दी गई है:

प्रातः: दूध, फल, और मेवे

दोपहर: कुट्टू का हलवा, फल, और दूध

शाम: साबूदाने का हलवा, फल, और दूध

रात: दूध, फल, और मेवे

यह केवल एक उदाहरण है, और आप अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य एवं आवश्यकताओं के आधार पर अपना आहार योजना बना सकते हैं।

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एकादशी के दिन कौन सा पाठ करना चाहिए?

एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ विष्णु जी के मंत्रों का जाप करना भी बहुत ही लाभकारी होता है। एकादशी के दिन मंत्रों का जाप किया जा सकता है:

ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय
विष्णुसहस्रनाम
विष्णु अष्टोत्तरशतनाम
विष्णु सहस्त्रनाम पाठ
विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र
इन मंत्रों के जाप से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और पापों से मुक्ति मिलती है।

एकादशी के दिन पाठ का तरीका

एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें। फिर, किसी शांत स्थान पर बैठकर मंत्रों का जाप करें। मंत्रों का जाप करते समय मन को एकाग्र रखने का प्रयास करें।

एकादशी के दिन पाठ के लाभ

एकादशी के दिन मंत्रों का जाप करने से लाभ होते हैं:

भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
पापों से मुक्ति मिलती है।
मन को शांति मिलती है।
बुद्धि का विकास होता है।
धन-धान्य की वृद्धि होती है।
संतान प्राप्ति होती है।
एकादशी के दिन दान का महत्व

एकादशी के दिन दान करना भी बहुत ही लाभकारी होता है। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके जरूरत मंद लोगों को भोजन, वस्त्र, और धन आदि दान करना चाहिए। दान करने से पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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