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चित्रकूट में घूमने की जगह चित्रकूट में घूमने के लोकप्रिय पर्यटक स्थल Chitrakoot Me Ghumne Ki Jagah

Chitrakoot Me Ghumne Ki Jagah:

Chitrakoot Me Ghumne Ki Jagah:

रामघाट

चित्रकूट में घूमने की जगह रामघाट भारत के चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के तट पर एक घाट है। यह हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान यहां स्नान किया था। यह घाट वह स्थान भी कहा जाता है जहां राम 14 साल के वनवास के बाद अपने भाई भरत से मिले थे। रामघाट एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, और हर साल हजारों तीर्थयात्री यहां आते हैं। यह घाट मंदिरों और तीर्थस्थलों से सुसज्जित है, और यहां कई स्नान घाट भी हैं जहां तीर्थयात्री मंदाकिनी नदी के पवित्र जल में डुबकी लगा सकते हैं। चित्रकूट में घूमने की जगह रामघाट पर सबसे प्रमुख मंदिर राम मंदिर है, जो भगवान राम को समर्पित है। मंदिर एक सुंदर संरचना है, और मूर्तियों से सजाया गया है। रामघाट पर एक हनुमान मंदिर भी है, जो वानर देवता हनुमान को समर्पित है। रामघाट एक शांतिपूर्ण और शांत जगह है, और आराम करने और चिंतन करने के लिए एक शानदार जगह है। यह हिंदू धर्म के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानने के लिए भी एक शानदार जगह है।यह मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है, जो गंगा नदी की एक सहायक नदी है।ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान यहां स्नान किया था और 14 साल के वनवास के बाद वह अपने भाई भरत से भी यहीं मिले थे।
यह घाट राम मंदिर और हनुमान मंदिर सहित मंदिरों और तीर्थस्थलों से सुसज्जित है।
यहां कई स्नान घाट भी हैं जहां तीर्थयात्री मंदाकिनी नदी के पवित्र जल में डुबकी लगा सकते हैं।
रामघाट एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, और हर साल हजारों तीर्थयात्री यहां आते हैं।
यह एक शांतिपूर्ण और शांतिपूर्ण जगह है, और आराम करने और चिंतन करने के लिए एक शानदार जगह है।

चित्रकूट में घूमने की जगह गुप्त गोदावरी

गुप्त गोदावरी दो पर्वतीय गुफाओं का एक समूह है, जो गहराई के स्तरों के पानी से भरी हुई हैं। कहा जाता है कि यह जल भूमिगत गोदावरी नदी से बना है। गुफाओं में चट्टानों पर चढ़ना और ठंडे पानी के स्पर्श का आनंद लेना एक अद्भुत अनुभव है।

बड़ी गुफाओं में दो पत्थरों से बने सिंहासन हैं जो भगवान राम और भगवान लक्ष्मण के हैं। किंवदंती है कि भगवान राम और भगवान लक्ष्मण अपने वनवास के दौरान कुछ समय के लिए यहां मौजूद थे। उस समय, भगवान राम से मिलने के लिए कई देवता मंदिर आए। ऐसा माना जाता है कि मां गोदावरी इन गुफाओं में गुप्त रूप से दर्शन देकर उनके पास जाती हैं।

गुप्त गोदावरी एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, और इसे हर साल हजारों लोग देखने आते हैं। मंदिर के बाहर कई मूर्तियाँ हैं जहाँ तीर्थयात्री धार्मिक धार्मिक और प्रसाद खरीद सकते हैं।यह गुफा मंदिर मंदिर के बाहरी इलाके में स्थित है, और राम घाट के दक्षिण में है।
गुफाओं में संतों के स्तर का पानी है, जिसे तल गोदावरी नदी से गिरा हुआ माना जाता है।
गुफाओं में दो पत्थरों से बने सिंहासन हैं जो भगवान राम और भगवान लक्ष्मण के हैं।
गुप्त गोदावरी एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, और इसे हर साल हजारों लोग देखने आते हैं।

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चित्रकूट में घूमने की जगह भरत मिलाप मंदिर

भरत मिलाप मंदिर, चित्रकूट में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान राम और उनके छोटे भाई भरत की मुलाकात के लिए प्रसिद्ध है। कथानुसार, जब भगवान राम को उनके पिता दशरथ जी ने राम को 14 वर्ष के वनवास के लिए भेजा, तो भरत ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया और अयोध्या का राजपाट संभाला। उन्होंने भगवान राम को मनाने के लिए चित्रकूट की यात्रा की।भरत मिलाप मंदिर, कामदगिरि पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर भगवान राम और भरत की मुलाकात के स्थान पर बनाया गया है। मंदिर में भगवान राम और भरत की मूर्तियाँ हैं।

भरत मिलाप मंदिर एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है। हर साल हजारों भक्त भगवान राम और भरत की मुलाकात को देखने के लिए इस मंदिर में आते हैं। भरत मिलाप मंदिर का महत्व भरत मिलाप मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है क्योंकि यह भगवान राम और भरत के भाई चारे और प्रेम का प्रतीक है। यह मंदिर हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान है, और इसे देखने और पूजा करने के लिए हर साल हजारों भक्त आते हैं। यहां भरत मिलाप मंदिर कामदगिरि पर्वत पर स्थित है, जो चित्रकूट में एक पवित्र पर्वत है।
मंदिर में भगवान राम और भरत की मूर्तियाँ हैं। भरत मिलाप मंदिर एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है। यह मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।

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चित्रकूट में घूमने की जगह कामदिगिरि पर्वत और कामतानाथ मंदिर

रामायण के अनुसार, भगवान राम ने लगभग 11 वर्ष के दौरान अपने वनवास के बारे में बताया था। इस दौरान उन्होंने चित्रकूट को अपनी साधना स्थली बनाया, और साथ ही कई साधु-संतों ने भी मंदिर को अपना आश्रय बनाया। यही कारण है कि चित्रलिपि को एक प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है।मंदिर में भगवान राम से जुड़े कई पवित्र स्थल हैं, जिनमें से एक है कामतानाथ मंदिर। यह मंदिर कामादगिरि पर्वत के तलहटी में स्थित है। कामदगिरि पर्वत को भगवान राम ने आशीर्वाद दिया था कि जो भी इस पर्वत की पूजा करेगा, उसके सभी मन पूरी तरह से गायब हो जाएंगे।कामद्रगिरि की प्रतिमा और रामघाट की शुरुआत से होती है, जो मंदाकिनी पयस्वनी नदी के संगम पर स्थित है। यह वही घाट है, जहां भगवान राम ने अपने पिता राजा का अभिषेक किया था। साधारण रामघाट में स्नान करके कामतानाथ मंदिर में भगवान के दर्शन होते हैं और फिर कामदगिरि की पूजा शुरू होती है। यह 5 किमी की पेशकश है, जिसे पूरा करने में लगभग दो घंटे का समय लगता है।कामद्रगिरि पर्वत की प्रशंसा के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की यादें याद आती हैं। वे भगवान राम से अपने मन की प्रार्थना करते हैं। कामदगिरि पर्वत की प्रशंसा करना एक बहुत ही पुण्य कार्य माना जाता है।

कामतानाथ मंदिर की परिभाषा कामतानाथ मंदिर में भगवान शिव को कामतानाथ के रूप में पूजा जाता है। कामतानाथ का अर्थ है कामनाओं को पूरा करने वाला।”ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करता है, उसके सभी मन शांत हो जाते हैं।

मंदिर में भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति है, जो एक शिवलिंग के रूप में है। मंदिर के पास ही एक प्राचीन तालाब है, जिसे कामद तालाब कहा जाता है। इस समुद्र में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

कामतानाथ मंदिर एक बहुत ही लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। हर साल लाखों आकर्षक इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने और अपनी भावनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं।

चित्रकूट में घूमने की जगह हनुमान धारा: एक पवित्र झरना, एक आकर्षण कथा

चित्रकूट, उत्तर प्रदेश में स्थित हनुमान धारा एक पवित्र झरना है जो भगवान हनुमान से जुड़ा हुआ है। यह एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।

हनुमान धारा, कामदगिरि पर्वत की तलहटी में स्थित है। यह एक प्राकृतिक झरना है जो एक गुफा से निकलता है। झरने के पानी में एक कोमल धारा है जो भगवान हनुमान की मूर्ति के ऊपर से बहती है। यह धारा हनुमान जी को स्पर्श करती हुई बहती है, जिस कारण इस स्थान को हनुमान धारा कहा जाता है।

हनुमान धारा की कथा के अनुसार, जब भगवान हनुमान ने लंका में आग लगाई थी, तो वह बहुत क्रोधित हो गए थे। वह इतना क्रोधित थे कि वह अपने आप को नियंत्रित नहीं कर पा रहे थे। भगवान राम ने हनुमान जी को शांत करने के लिए उन्हें इस स्थान पर भेजा। हनुमान जी ने इस झरने के नीचे स्नान किया और अपने क्रोध को शांत किया।

हनुमान धारा एक पवित्र स्थान है जहां भक्त लोग हनुमान का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है जो अपने प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।

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चित्रकूट में घूमने की जगह हनुमान धारा की मान्यताएं

हनुमान धारा में स्नान करने से कई लाभ होते हैं। माना जाता है कि यह स्नान सभी पापों को दूर करता है, और मन को शुद्ध करता है। यह स्नान शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है।

हनुमान धारा के बारे में एक लोकप्रिय कथा है कि हनुमान जी, जब भगवान राम और माता सीता की खोज में थे, तो उन्होंने इस गुफा में विश्राम किया था। उन्होंने अपनी थकान दूर करने के लिए इस जलधारा में स्नान किया था। हनुमान धारा, चित्रकूट के एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह स्थान हनुमान जी के भक्तों के लिए एक विशेष महत्व रखता है।

चित्रकूट में घूमने की जगह चित्रकूट पर्वत को भगवान राम का आशीर्वाद मिला

त्रेतायुग में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण सहित वनवास के लिए गए थे। तब उन्होंने अपने 14 वर्षों के वनवास का लगभग आधा समय, यानी 11 वर्ष और 3 महीने, चित्रकूट में बिताए। इस दौरान उन्होंने यहां कई धार्मिक और सामाजिक कार्य किए, जिनसे चित्रकूट एक पवित्र और प्रसिद्ध स्थान बन गया।भगवान राम के चित्रकूटवास के दौरान, यहां कई ऋषि-मुनि और साधु-संत भी आ गए। उन्होंने भी यहां तपस्या और साधना की। इस तरह, चित्रकूट एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र बन गया। भगवान राम के वनवास के समाप्त होने पर, उन्हें अयोध्या लौटना था। लेकिन उनके जाने के बारे में सुनकर, चित्रकूट पर्वत बहुत दुखी हो गाये थे । तब भगवान राम से कहा कि जब तक वे यहां थे, तब तक यह भूमि अत्यंत पवित्र थी, लेकिन उनके जाने के बाद यह भूमि फिर से अनादरित हो जाएगी। भगवान राम ने चित्रकूट पर्वत को समझाया कि उन्हें अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए अयोध्या लौटना है। उन्होंने पर्वत कहा की हम हमेशा उनकी रक्षा करेंगे और उन्हें आशीर्वाद देंगे।

भगवान राम ने चित्रकूट पर्वत को वरदान दिया कि जो कोई भी उनकी परिक्रमा करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। उन्होंने कहा कि इस पर्वत का नाम अब कामदगिरि होगा, जिसका अर्थ है कामनाओं को पूर्ण करने वाला

भगवान राम के वरदान के अनुसार, कामदगिरि पर्वत आज भी एक पवित्र स्थान है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान राम की परिक्रमा करने और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं।

कामदगिरि पर्वत की विशेषताएं

कामदगिरि पर्वत चित्रकूट में स्थित एक ऊंचा पर्वत है। यह पर्वत अपने आकार के लिए भी प्रसिद्ध है। यह पर्वत कहीं से भी देखने पर धनुष के आकार का दिखाई देता है।

कामदगिरि पर्वत के शिखर पर एक मंदिर है, जहां भगवान राम और माता सीता की मूर्तियां हैं। मंदिर के पास एक गुफा भी है, जिसमें भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान तपस्या की थी।कामदगिरि पर्वत एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान है।

चित्रकूट में घूमने की जगह सती अनुसूया आश्रम: चित्रकूट की आध्यात्मिक धरोहर

चित्रकूट में स्थित सती अनुसूया आश्रम हिंदुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह आश्रम महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी महासती अनुसूया की तपस्थली है। अनुसूया को हिंदू धर्म में एक महान पतिव्रता और आदर्श महिला के रूप में सम्मानित किया जाता है।कहा जाता है कि त्रेता युग में, इस क्षेत्र में दस वर्षों तक वर्षा नहीं हुई थी। इस कारण यह क्षेत्र सूखा पड़ गया था। तब अनुसूया ने कठिन तपस्या की और अंततः मंदाकिनी नदी को धरती पर लाने में सफल रहीं। इस महान कार्य के लिए उन्हें सती कहा गया।अनुसूया की पतिव्रता की कहानियां हिंदू धर्म में काफी प्रसिद्ध हैं। एक बार देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश को अपने छोटे रूप में अनुसूया के सामने पेश किया। उन्होंने अनुसूया को यह सिद्ध करने के लिए कहा कि वह एक सच्ची पतिव्रता नारी हैं। की नही अनुसूया ने बिना किसी हिचकिचाहट के उन्हें अपने घर में स्वीकार कर लिया। जब देवताओं ने अपने वास्तविक रूपों को प्रकट किया, तो अनुसूया की पतिव्रता और आध्यात्मिक शक्ति से वे प्रसन्न हो गए। उन्होंने अनुसूया को वरदान दिया कि वह हमेशा पतिव्रता की प्रतिमूर्ति बनी रहेंगी और उन्हें सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

चित्रकूट चार धाम में से एक है, जो चार प्रमुख तीर्थ स्थलों का एक समूह है। अन्य तीन धाम वाराणसी, प्रयाग और काशी हैं। सती अनुसूया आश्रम इस क्षेत्र के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यह आश्रम अपने आध्यात्मिक वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।आश्रम चारों ओर से घनी वनस्पतियों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह स्थान पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है। यहां हर साल लाखों लोग आते हैं। आश्रम में एक मंदिर है, जिसमें अनुसूया और अत्रि की मूर्तियां हैं। मंदिर के पास एक कुंड भी है, जिसे सती कुंड कहा जाता है। कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।सती अनुसूया आश्रम हिंदू धर्म की आध्यात्मिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह आश्रम अनुसूया की पतिव्रता और आध्यात्मिक शक्ति की याद दिलाता है।

चित्रकूट में घूमने की जगह स्फटिक शिला, चित्रकूट

चित्रकूट में स्थित स्फटिक शिला एक पवित्र स्थान है, जहां भगवान राम और माता सीता ने अपने वनवास के दौरान कई बार विश्राम किया था। यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है।कथानुसार, एक दिन भगवान राम और माता सीता मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित स्फटिक शिला पर बैठे हुए थे। तभी इंद्र का पुत्र जयंत कौवे का रूप धारण करके माता सीता के पैरों पर चोंच मार दिया, जिससे माता सीता के पैरों से खून बहने लगा। जब भगवान राम ने यह देखा, तो उन्हें बहुत गुस्सा आया और उन्होंने एक तिनके से धनुष बनाकर जयंत को मारा। जयंत अपनी जान बचाने के लिए तीनों लोकों में भागा, लेकिन उसे कहीं भी शरण नहीं मिली। अंत में, वह माता सीता के चरणों में गिरकर माफी मांगी। माता सीता ने जयंत को माफ कर दिया और उसे जीवनदान दिया।

स्फटिक शिला एक चिकनी चट्टान है। इस चट्टान पर माता सीता के पैरों के निशान, भगवान राम द्वारा तिनके से बनाया गया धनुष और जयंत का निशान देखे जा सकते हैं। यहां पर मंदाकिनी नदी का विहंगम दृश्य भी दिखाई देता है।स्फटिक शिला के आसपास बहुत सारे बंदर रहते हैं। इसलिए, यहां पर जाने पर अपने सामान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। स्फटिक शिला के पास ही में लक्ष्मण जी के चरण भी स्थित हैं।स्फटिक शिला पर एक राम मंदिर भी है, जहां पर भगवान राम की मूर्ति स्थापित है। यहां पर एक यज्ञशाला भी है, जहां पर हर साल फरवरी महीने में यज्ञ होता है।स्फटिक शिला एक शांतिपूर्ण और पवित्र स्थान है। यहां पर आकर मन को बहुत शांति मिलती है।

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